Natasha

Add To collaction

पुराने कमांडेंट

जब अन्‍वेषक और सैनिक तथा पीछे चलता सजायाफ्‍ता काला पानी की बस्‍ती के पास पहुँचे तो सैनिक ने एक मकान की ओर हाथ से इशारा करते हुए कहा, “वो रहा टी-हाउस।”




टी-हाउस का ग्राउण्‍ड-फ्‍लोर गहरा, नीचा और कन्‍दरा जैसा था, दीवारें और सीलिंग धुएँ से काली थीं। वह सड़क की लम्‍बाई में बना था और कॉलोनी में बने दूसरे मकानों से उसमें कोई खास अन्‍तर न था। सभी जर्जर और खण्‍डहरनुमा मकान कमाण्‍डेंट के राजकीय महल के पास तक फैले थे। 



उन्‍हें देख अन्‍वेषक को ऐतिहासिक परम्‍परा की अचानक याद आ गई और उस युग की शक्‍ति का उसमें अहसास जाग गया। वह टी-हाउस के भीतरी हाल के भीतर चला गया जहाँ खाली टेबलें रखी थीं और जो सड़क के ठीक सामने था, उसके साथी उसके साथ थे, भीतर पहुँच उसने अन्‍दर से आती सर्द हवाओं को महसूस किया। 



“बूढ़े को यहीं दफनाया गया है”, सैनिक ने उसे बतलाया, “पादरी उसे चर्च में जगह देने को तैयार ही न था। इधर लोग परेशान थे कि उसे आखिर कहाँ दफनाया जाए, अन्‍त में उसे यहीं पर दफना दिया था। यह बात ऑफिसर ने आपको नहीं बतलाई होगी- यह मैं जानता हूँ क्‍योंकि इसको ले वह बेहद शर्मिन्‍दगी महसूस किया करता था। 



हालाँकि उसने कई बार रातों में उसे यहाँ से निकालने की कोशिशें की थीं लेकिन हर बार उसे यहाँ से भगा दिया गया था।” “कब्र कहाँ है।” अन्‍वेषक ने प्रश्‍न किया क्‍योंकि उसे सैनिक की बात पर विश्‍वास ही नहीं हो रहा था। प्रश्‍न सुनते ही सैनिक और सजायाफ्‍ता हाथ से इशारा करते उसके आगे तेजी से बढ़ गए जहाँ कब्र थी। 



वे अन्‍वेषक को पिछली दीवार तक ले गए जहाँ टेबलों पर यहाँ-वहाँ कुछ मेहमान बैठे थे। स्‍पष्‍ट लग रहा था कि वे सभी बंदरगाह के कर्मचारी थे, क्‍योंकि वे तन्‍दुरुस्‍त और चमकती दाढि़यों वाले थे। उनमें से एक भी जैकेट नहीं पहने था उनकी कमीजें फटी हुई थीं, वे गरीब सीधे-सादे लोग थे। 



जैसे ही अन्‍वेषक उनके पास पहुँचा उनमें से कुछ कुर्सियाँ छोड़ दीवार से सटकर खड़े हो उसे घूरने लगे। “कोई अजनबी है”, उनके बीच फुसफुसाहट फैलने लगी, “वो कब्र देखना चाहता है।” उन्‍होंने बिना कहे एक टेबल सरका दी और वहाँ वास्‍तव में कब्र का पत्‍थर लगा था।



 वो साधारण पत्‍थर था और इतना नीचे था कि आसानी से टेबल से ढक जाता था, उस पर बेहद छोटे अक्षरों में लिखा था। अन्‍वेषक ने घुटनों के बल बैठ उन्‍हें पढ़ा। उस पर लिखा था, “यहाँ आराम कर रहे हैं पुराने कमाण्‍डेंट। उसके अनुयायी जो नाम रहित रहना पसन्‍द करते हैं, उन्‍होंने यह कब्र खोदी थी और यह पत्‍थर लगाया था।



 एक भविष्‍यवाणी के अनुसार तयशुदा समय बीत जाने के बाद कमाण्‍डेंट एक बार पुनः जीवित होगा और अपने अनुयायियों का नेतृत्‍व करेगा और यहीं से काला पानी की इस कॉलोनी पर विजय प्राप्‍त करेगा। विश्‍वास रखो और इन्‍ताजार करो।”



 जब अन्‍वेषक ने इसे पढ़ लिया और खड़ा हो गया तो उसने पास खड़े लोगों को मुस्‍कराते देखा, उन सभी ने उसे पढ़ रखा था और उसे बकवास मानते थे और उम्‍मीद कर रहे थे कि वह भी उनकी राय पर सहमति व्‍यक्‍त करेगा। अन्‍वेषक ने इस सब पर कोई ध्‍यान नहीं दिया, 



अपने जेब से उसने कुछ सिक्‍के निकाले और वहाँ खड़े लोगों को बाँट दिए और तब तक अपने स्‍थान पर खड़ा रहा जब तक टेबल को दोबारा कब्र पर रख नहीं दिया गया और उसके बाद टी हाउस से बाहर निकल वह सीधे बन्‍दरगाह की ओर चल दिया।

सैनिक और सजायाफ्‍ता को टी-हाउस में कुछ परिचित मिल गए थे, जिन्‍होंने उन्‍हें रोक लिया था, लेकिन उन्‍होंने जल्‍दी ही उनसे छुटकारा पा लिया होगा क्‍योंकि अभी अन्‍वेषक नावों की ओर उतरती सीढि़यों पर आधी दूरी पर ही पहुँचा था कि वे तेजी से चल उसके पास पहुँच गए। शायद वे उम्‍मीद कर रहे थे कि वे उन दोनों को अपने साथ ले जाने के लिए मना लेंगे। जब अन्‍वेषक नाव वाले से स्‍टीमर तक जाने के किराए को तय कर रहा था, तब वे तेजी से सीढि़याँ उतर रहे थे।



 चूँकि वे चिल्‍लाने का दुस्‍साहस नहीं कर सकते थे, इसलिए वे खामोशी से उतरते गए। लेकिन इसके पहले कि वे सीढि़याँ उतर उसके पास पहुँचे अन्‍वेषक बोट में बैठ चुका था और नाव वाला किनारे को छोड़ रहा था। वे आराम से बोट में कूद सकते थे लेकिन अन्‍वेषक ने एक गठान लगी रस्‍सी नीचे से उठाई और उन्‍हें धमकाकर कूदने से रोक दिया।



(अनुवाद: इन्द्रमणि उपाध्याय)

   0
0 Comments